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Showing posts from November, 2015

गरीबी के पार

गरीबी के पार बहुत से लोग हैं, जो यह मानते हैं कि गरीबी उनकी किस्मत है। लेकिन दुनिया के अमीर व्यक्तियों में शामिल बिल गेट्स कहते हैं कि अगर आप गरीब पैदा हुए हैं, तो यह आपकी गलती ...

आगे सफर था और पीछे हमसफर था..

आगे सफर था और पीछे हमसफर था.. रूकते तो सफर छूट जाता और चलते तो हमसफर छूट जाता.. मंजिल की भी हसरत थी और उनसे भी मोहब्बत थी.. ए दिल तू ही बता,उस वक्त मैं कहाँ जाता... मुद्दत का सफर भी था और बरसो का हमसफर भी था रूकते तो बिछड जाते और चलते तो बिखर जाते.... यूँ समँझ लो, प्यास लगी थी गजब की... मगर पानी मे जहर था... पीते तो मर जाते और ना पीते तो भी मर जाते. बस यही दो मसले, जिंदगीभर ना हल हुए!!! ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल हुए!!! वक़्त ने कहा.....काश थोड़ा और सब्र होता!!! सब्र ने कहा....काश थोड़ा और वक़्त होता!!! सुबह सुबह उठना पड़ता है कमाने के लिए साहेब...।। आराम कमाने निकलता हूँ आराम छोड़कर।। "हुनर" सड़कों पर तमाशा करता है और "किस्मत" महलों में राज करती है!! "शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी, पर चुप इसलिये हु कि, जो दिया तूने, वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता".. अजीब सौदागर है ये वक़्त भी!!!! जवानी का लालच दे के बचपन ले गया.... अब अमीरी का लालच दे के जवानी ले जाएगा. ...... लौट आता हूँ वापस घर की तरफ... हर रोज़ थका-हारा, आज तक समझ नहीं आया की जीने के लि...

उड़ गई वह कोयल क्या

उड़ गई वह कोयल क्या जिसकी पुकार ने भरी रात में मुझे नींद से जगा दिया? तब भी, लगता है, उसका गीत मेरे तकिए के पास पड़ा है। ×    ×    ×    ×    ×    ×    ×    ×    × मैं केवल वाह! कह सकता हूँ चेरी के उन फूलों के लिए जो योशिनो पर्वत पर खिलते हैं। ×   ×   ×    ×    ×    ×    ×    ×    ×    × चुप तो हूँ, मगर सोच रहा हूँ। मैं बातें भले न करूँ, मगर मुझे तुम दीवार मत समझ लेना। ×   ×   ×    ×   ×   ×    ×   ×    ×     × Japanese poetry(old) Translated by - late Ramdhari Singh dinkar

शब्द मुझे नहीं चाहिए

शब्द मुझे नहीं चाहिए। विचार निरर्थक और बेकार हैं। मेरी आत्मा में प्रेम का ज्वार दैडे़गा और जिप्सी की तरह कहीं दूर पर मैं प्रकृति को अपनी संगिनी बनाऊँगा और सोचूँगा, मेरी बगल में कोई लड़की पड़ी है। ×  ×  ×  ×  ×  ×  ×  ×  ×  × क्षितिज से क्षितिज तक मैंने रस्सियाँ जोड़ी हैं, खिड़की से खिड़की तक मैंने फूलों के हार सजाए हैं, और सितारों से सितारों तक मैंने सोने की जंजीरें तान दी हैं जिससे उन पर मैं नृत्य कर सकूँ। ×  ×  ×  ×  ×  ×  ×  ×  ×  ×  ×  ×  × जब दुनिया सिमटकर एक सघन कुंज बन जाएगी, मैं तुम्हारे पास आऊँगा। जब दुनिया सिमटकर दो बच्चों के खेलने योग्य एक समुद्र-तट बन जाएगी, मैं तुम्हारे पास आऊँगा। जब दुनिया सिमटकर संगीत-सदन बन जाएगी, मैं तुम्हारे पास आऊँगा। × × × × × × × × × × × × × × × × × × × × × × × × × × Writer- Arthur Rimbaud Translated by-late Ramdhari Singh dinkar Copy from dinkar's book- कविता और शुद्ध कविता

मृत्यु

Writer- Charles Baudelaire Translated by - late Ramdhari Singh dinkar Copied from dinkar's book-कविता और शुद्ध कविता मृत्यु ईश्वर का चमत्कार है, सबसे ऊपर की छत का रहस्यमय कमरा, एक ऐसा खजाना जिसकी विरासत गरीब को भी मिलती है, वह विशाल द्वार जो अग्यात आकाश ...

उर्वशी

[प्रतिष्ठानपुर का राजभवन : पुरुरवा की महारानी औशीनरी अपनी दो सखियों के साथ] औशीनरी तो वे गये? निपुणिका गये ! उस दिन जब पति का पूजन करके लौटीं, आप प्रमदवन से संतोष हृदय मॅ भरके लेकर यह विश्वास, रोहिणी और चन्द्रमा जैसे हैं अनुरक्त, आपके प्रति भी महाराज अब वैसे प्रेमासक्त रहेंगे, कोई भी न विषम क्षण होगा, अन्य नारियॉ पर प्रभु का अनुरक्त नहीं मन होगा, तभी भाग्य पर देवि ! आपके कुटिल नियतमुसकाई, महाराज से मिलने को उर्वशी स्वर्ग से आई. औशीनरी फिर क्या हुआ ? निपुणिका देवि, वह सब भी क्या अनुचरी कहेगी ? औशीनरी पगली ! कौन व्यथा है जिसको नारी नहीं सहेगी ? कह्ती जा सब कथा, अग्नि की रेखा को चलने दे, जलता है यदि हृदय अभागिन का,उसको जलने दे. सानुकूलता कितनी थी उस दिन स्वामी के स्वर मॅ ! समझ नहीं पाती, कैसे वे बदल गए क्षण भर मॅ ! ऐसी भी मोहिनी कौन-सी परियाँ कर सकती हैं, पुरुषॉ की धीरता एक पल मॅ यॉ हर सकती हैं ! छला अप्सरा ने स्वामी को छवि से या माया से? प्रकटी जब उर्वशी चन्द्नी मॅ द्रुम की छाया से, लगा, सर्प के मुख से जैसे मणि बाहर निकली हो, याकि स्वयं चाँदनी स्वर्ण-प...