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अपना काम

उनके केबिन में काम को लेकर मार्टिन लूथर किंग की एक खूबसूरत बात लिखी हुई थी- ‘अगर किसी को सड़क साफ करने का काम दिया जाए, तो सफाई ऐसी करनी चाहिए, जैसे महान चित्रकार माइकल एंजेलो पेंटिंग कर रहे हों, जैसे विश्वविख्यात संगीतकार बीथोवेन संगीत रचना में जुटे हों या शेक्सपीयर कोई कविता लिख रहे हों।’ वह अपने मातहतों को यह बताने से नहीं चूकते कि उन्होंने अपना करियर घर-घर चीजें बेचने से शुरू किया था। बस वह हर काम में सर्वश्रेष्ठ देते रहे। 

कोई भी काम हो, उसमें सर्वश्रेष्ठ देना हमारी प्रकृति में होना चाहिए। ऐसा हम तभी कर सकते हैं, जब हर काम को हम अहमियत दें। यहां टॉलस्टॉय को आदर्श के रूप में देख सकते हैं। वह सामंत थे, पर एक बार उन्होंने कुली का भी काम किया और उससे मिले पैसे को खुशी-खुशी जेब के हवाले कर दिया। अभिनेता मनोज बाजपेयी ने भी एक साक्षात्कार में कहा कि वह अगर छोटे रोल को गंभीरता से नहीं करते, तो कभी इस मुकाम पर नहीं पहुंच पाते, जहां वह आज हैं। वह आगे कहते हैं कि जिन्हें छोटा काम समझा जाता है, वही जीवन के मील के पत्थर होते हैं। इसी तरह द मैजिक ऑफ थिंकिंग बिग जैसी पुस्तक के लेखक डेविड श्वार्ट्ज का कहना है कि दुनिया में अपने काम को लेकर हीनता महसूस करने वाले लाखों लोग सालाना मानसिक आत्महत्या करते हैं। वे खुद को अपमानित, दंडित करते हैं और खुद को अपनी नजरों में छोटा बनाते हैं। उन्होंने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि दुनिया का कोई भी काम बुरा नहीं है और हर काम को बेहतर व रचनात्मक तरीके से किया जा सकता है, बशर्ते उसे करने में आप गर्व महसूस करें। वाकई काम कोई सा भी हो, उसे गर्व के साथ करने से खुशी मिलती है और विनम्रता हासिल होती है। हमें समझना चाहिए कि दुनिया में जो भी काम है, वह हमें सुखी रखने के लिए है।

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