शब्द मुझे नहीं चाहिए।
विचार निरर्थक और बेकार हैं।
मेरी आत्मा में प्रेम का ज्वार दैडे़गा
और जिप्सी की तरह कहीं दूर पर
मैं प्रकृति को अपनी संगिनी बनाऊँगा
और सोचूँगा, मेरी बगल में
कोई लड़की पड़ी है।
× × × × × × × × × ×
क्षितिज से क्षितिज तक मैंने रस्सियाँ जोड़ी हैं,
खिड़की से खिड़की तक मैंने फूलों के हार सजाए हैं,
और सितारों से सितारों तक
मैंने सोने की जंजीरें तान दी हैं
जिससे उन पर मैं नृत्य कर सकूँ।
× × × × × × × × × × × × ×
जब दुनिया सिमटकर एक सघन कुंज बन जाएगी,
मैं तुम्हारे पास आऊँगा।
जब दुनिया सिमटकर दो बच्चों के खेलने योग्य
एक समुद्र-तट बन जाएगी,
मैं तुम्हारे पास आऊँगा।
जब दुनिया सिमटकर संगीत-सदन बन जाएगी,
मैं तुम्हारे पास आऊँगा।
× × × × × × × × × × × × × × × × × × × × × × × × × ×
Writer- Arthur Rimbaud
Translated by-late Ramdhari Singh dinkar
Copy from dinkar's book- कविता और शुद्ध कविता
आगे सफर था और पीछे हमसफर था.. रूकते तो सफर छूट जाता और चलते तो हमसफर छूट जाता.. मंजिल की भी हसरत थी और उनसे भी मोहब्बत थी.. ए दिल तू ही बता,उस वक्त मैं कहाँ जाता... मुद्दत का सफर भी था और बरसो का हमसफर भी था रूकते तो बिछड जाते और चलते तो बिखर जाते.... यूँ समँझ लो, प्यास लगी थी गजब की... मगर पानी मे जहर था... पीते तो मर जाते और ना पीते तो भी मर जाते. बस यही दो मसले, जिंदगीभर ना हल हुए!!! ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल हुए!!! वक़्त ने कहा.....काश थोड़ा और सब्र होता!!! सब्र ने कहा....काश थोड़ा और वक़्त होता!!! सुबह सुबह उठना पड़ता है कमाने के लिए साहेब...।। आराम कमाने निकलता हूँ आराम छोड़कर।। "हुनर" सड़कों पर तमाशा करता है और "किस्मत" महलों में राज करती है!! "शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी, पर चुप इसलिये हु कि, जो दिया तूने, वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता".. अजीब सौदागर है ये वक़्त भी!!!! जवानी का लालच दे के बचपन ले गया.... अब अमीरी का लालच दे के जवानी ले जाएगा. ...... लौट आता हूँ वापस घर की तरफ... हर रोज़ थका-हारा, आज तक समझ नहीं आया की जीने के लि...
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