उड़ गई वह कोयल क्या
जिसकी पुकार ने
भरी रात में मुझे नींद से जगा दिया?
तब भी, लगता है, उसका गीत
मेरे तकिए के पास पड़ा है।
× × × × × × × × ×
मैं केवल वाह! कह सकता हूँ
चेरी के उन फूलों के लिए
जो योशिनो पर्वत पर खिलते हैं।
× × × × × × × × × ×
चुप तो हूँ, मगर सोच रहा हूँ।
मैं बातें भले न करूँ,
मगर मुझे तुम दीवार मत समझ लेना।
× × × × × × × × × ×
Japanese poetry(old)
Translated by - late Ramdhari Singh dinkar
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